Monday, September 26, 2011

आज-काल की राजनीति हलचल पै एक छोटी सी कविता भाईयो थोडा सा सोचियो अर भाई अजय सिंह चैटाला नै जिताईयो




आज मैं ताजा-ताजा बात लिख्ूंा सूं
राजनीति म्हं होरी खुबात लिखूं सू
सब गलियां म्हं रूका चालरा सै
घणे जणा का कालजा हालरा सै
सबकै मन म्हं थोड़ी-थोड़ी टेंशन सै
अर् भाईयो लोकसभा का यो बिचला इलैक्शन सैं।।

सारी गलियां म्हं रौनक आरी सै
कदे पजेरो के एंडेवर जारी सै
इबकै इलेक्सनां म्हं कौन जीतैगा
जनता सारी जिकर चलारी सै।।

चार पार्टियां के तीन जणै इलैक्शन लड़ण लागरैं सै
सबकै मन म्हं थोड़ा-थोड़ा मिठास भरण लागरैं सै
कोए अजय चैटाला नै अर कोए कुलदीप नै जितारा सै
कांग्रेस आले जेपी का तो इबे नंबर तीसरे पै आरा सै

अर कोए जात-पात, क्षेत्रवाद का नाम देणा चावै सै
अर कोए विकास के नाम पै बोट लेणा चावै सै
सिर्फ एक जणा अपणी छवि तै वोट जोडै सै
इलैक्शन का मुंह आप कानी मोडै सै

सारी जनता आज इस सरकार नै कौसे सै
मंहगाई बढ़ादी भाईयो गरीब का रूपया खोसे सै

एक नेता का बाबू एससी भाईचारा नै पाड़गा
एसी ए बी का जहर घोलगे आप पल्ला झाड़गा
आज ए अर बी आले उन्नै बोट देण का नाम नहीं लेन्दे
नूं कहवैं सै भाईचारा नै पाड़णियां नै बोट कोन्या देन्दे
नोन जाटां का नारा देके आपकी ए कमी करावै सै
यो ए नारा तो जाटा म्हं एकता बढ़ाव सै

जाट बोली कोम ना सै भाईयो, काम करके दिखावगें
मजबूत जाट नेता नै, जीता कै दिखावगें
अर क्यूं जितावगें, नेता तगड़ा पारया सै
मुख्यमंत्री का छौरा सै सारै छारया सै
सबे किते वो एंडी छवि बणारया सै
हर किसे नै आज चश्मा भारया सै
इनेलो एक बार फेर सत्ता म्हं आरया सै

मैं आज जो बात लिखी सै
सब तारतै ए सिखी सै
जनता आवाज लगारी सै
कांग्रेस नै दबारी सै

जात-पात करणियां नै जनता मजा चखावगी
जिसका बाप बणै मुख्यमंत्री, उसनै जितावगी
जो जीतैगा वो सारै छावगा
राज हरियाणा का पलटा खावगी

सारे पुराणी बात अर बादे नेता जी नै याद दुवाईयो
दाउं पुरा सोच - विचार करके बोट गैर के आईयो
आपकै बोट आए जरूर करवाईयो
जो हो उस महापुरूष का पोता
बटन चश्में का ए दबाईयो।।।।

Haryana Nirmat Yugporush.....Jannayak Tau Devilal ji ko yo Haryana aaj Bulave s ak Tau Aajya n Tanne Pukare Haryana

स्ंादीप कंवल भुरटाना
ओ ताउ आज्या नै तन्नै पुकारै हरियाणा
भोली-भाली जनता नै,यो लुट्टै बणके स्याणा

जिद भी हरियाणे म्हं ताउ कांग्रेस की सरकार आई सै,
आंदे-आंदे इसनै ताउ, लूटपाट मचाई सै,
गोते मार के दाल नापांदी, रौवे मेरी ताई सै,
चीनी, चावल सब किमे मंहगा, लाठी तोड मंहगाई सै,
गरीब आदमी नै ताउ, पडा बासी टिकड खाणा-1

टिम-टिम करके लाइट भाजगी, एक बर फेर आ ताउ,
नहर सुखगी पानी कोन्या, वो ए काम दिखा ताउ,
बूंढा की तन्नै पेंषन बणाई, दूूूसरा का ठप्पा मिटा ताउ,
होरी किसान की रे रे माटी, फेर खुषहाल बणा ताउ,
इस जनता के हाली नै, पडा फंदा गल म्हं लटकाणा-2

गरीब आदमी का ताउ ना होंदा इब गुजारा,
150 रू कमा के लावै, 200 का खर्चा आरा,
छोरी के जाण खातर ताउ, भाडा नहीं पारा,
अमीर आदमी और भी, अमीर होदंा जारा,,
इस मंहगाई का ताउ, कोए पडगा जत्न मनाणा-3

इस रूस्म पाटत नै छोडकै सारे भेद मिटा लो,
घणे प्यार तै कहंू लोगो, एक बर चष्में का बटन दबा लो,
सारे दुख दूर होज्यागें चाहे पहलां लिखवा लो,,
कंग्रेस गेल्यां लाग कै, बेषक गोडे तुडवा लो,
हरेक जणा का काम होवगा, यो कहवै सन्दीप भुरटाणा
ओ ताउ आज्या नै तन्नै पुकारै हरियाणा

Thursday, September 22, 2011

संदीप कंवल भुरटाना




सबे किम कर दिया मंहगा, जनता पै छुरी तलवार चलादी रै,
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै।।।

पाणी-पाणी होरया था रै, कित गया रै पाणी
कोन्या आंदी भाइयो बिजली, कितै कांटा सानी
भलो-भलो के वोट लेग्ये, बात पहल्यां कोनी मानी
आंए ए बेबे नाटक रहग्या, देखां अधेरा कानी

इन धोलपोशा कअ झगडंा म्हं, या भोली जनता लडादी रै
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै

चीनी मंहगी चावल मंहगा, सब किते हाय लागरी
बिस्कूट लावगा मेरा पापा, वा गुडिया रोवण लागरी
एक ताई देकची म्हं दाल का टुकडा टोवण लागरी
पिलशन मिलदी हाणी भी वा झगडे झोवण लागरी

इन भोले भाले लोगां कअ हाथां म्हं हथियार ठुआदी रै
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै।।।

हरियाणा म्हं भी केन्द्र म्हं भी, फेर भी पाणी ना आया रै
एसवाईएल का मुददा कदे सीएम नै ना ठाया रै
काम करा एकला रोहतक म्ह बस पुलां पै घुमाया रै
खरीद फरोक्त मह जनता नै तकडा डीलर बताया रै

अर विदेशी कम्पनियां कअ हाथा म्हं जमीदारां की जमीन भी थमादी रै
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै।।।

सारे जणे कटठे होके करो बातां का समाधान
एक एक आदमी नै समझाओ छेडा इब अभियान
इस गूंगी बहरी सरकार के खोल दो एकबे कान
जिद तक पाछे ना हटो बात ना ले मान

कह भुरटाणे आला एक बात इब तख्ता पलट बगादो रै
फेर याद करके उस देवी के लाल नै चश्मे पअ मोहर लगादो रै

फेर ना देखणी पडगी बिजली पाणी की बाट
होंगे इस जनता जनार्दन उस किसान के ठाठ
बात पक्की सै लोह लाट
आपां नै लिखदी साच्ची बात
या कईयां नै भूंडी भी लागगी
पर मेरी आई डी पै कुंडी भी लागगी
पर पाछे नहीं हटणे आले हाम
सबनै मेरी हाथ जोडके राम राम।।।।।।।।।।।

माटी के बेटे हैं हम
हम फर्ज निभाना जानते हैं,
एहसान की कीमत जानते हैं,
एहसान चुकाना जानते हैं
ये सर भले ही कट जाए
पीछे नहीं हटेंगे हम
हम जान की कीमत जानते हैं
हम जान लुटाना जानते हैं।।।।।।

Saturday, September 10, 2011

डॉ अजय सिंह चौटाला



ताउ चष्में का बटन दबाईये,
पिलषन इबकै दुगनी पाईये,
थारो एक रूखाला रै।
खुल्म-खुला जितै अजय सिंह चौटाला रै

ताई चष्मे का बटन दबाईये,
नये नये जमकर सूट सिमाईये,
पैड़ल सोनो आला रै।।
खुल्म-खुला जितै अजय सिंह चौटाला रै-

सेठ चष्मे का बटन दबाईये
सुरक्षा जीवन बीमा तू पाईयै
रै छोरे चष्में का बटन दबाईये
बढ़िया रोजगार पाईये
यारा करज्या चाला रै
खुल्म-खुला जिते अजय सिंह चौटालो रै।।

जमीदार चष्में का बटन दबाईये,
फसलां के भाव पूरे पाईये
खाद-बीज सस्ते पाल्यों रै

है बेबेे चष्में का बटन दबाइये
कन्या दान किसने दिया समझाईये
याने दियो सम्भाला रै
खुल्म-खुला जिते अजय सिंह चौटालो रै।।

जिला परिषद म्हं छाया
मंत्राी का भाई हराया
मनमोहन भुरटाणे आला रै
खुल्म-खुला जिते अजय सिंह चौटालो रै।।

Thursday, September 8, 2011

बाबु ओ बाबु यो सिरसा मन्नै खूब भाया

Sandeep Kanwal Bhurtana
सारे दोस्तां इस कविता पै कांमेंट जरूर करणा सै,,,,या कविता सै मेरे दोस्त भाई रमेश चहल फकड जाट की,
मेरे पै कविता लिखी थी भाई नै आज टेम मिला तो मन्नै भी चार लेन लिखी सै, जिसी इक लागै उसा भाव
दे दिया ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़ ़ ़ ़ ़ संदीप कंवल भुरटाना



यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया

लागै जणु खुरा था
रंग उसका भूरा था
गुद्दी निचै नै करके, धरती नै देखके चालै था
छः फुटा द्यींग नै देखके कालजा सबका हालै था
धरती नै क्यंू देख था, यो सवाल मेरे मन म्हं घालै था
किसान का बेटा था दोस्तो, उस पवित्र मां नै संभालै था

मेरे गेल्यां 5 मिनट तई बडा हांस हांस बतलाया
सरसा शहर म्हं मन्नै एक फकड जाट पाया

नाम रमेश चहल सै उसका, बेटा बलवन्त किसान का
सच कहूं अखबार चलाया करै, छोरा हरिपुरा गाम का
हरियाणवी संस्कृति उपर ठाण नै बीडा उसनै ठा राख्या सै
कदे भी पिटारा खुल सकै सै , बणा राख्या पूूरा खाका सै

लख्मी रो पडा नाटक म्हं उसनै खूब म् रूवाया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया

यारा का यार सै वो
कसूता होशियार से वो
नाना का रूम पै उसके तोडी से कई खाट
फिल्म देखण जाया करदे बज जांदे चही आठ
मन का मौजी सै वो इब फेसबुक पै छाया
बाबु ओ बाबु मन्नै एक एंडी जाट पाया

स्कीट, नाटक, चुटकले बनाण म्हं घणा कसूता हाई सै
मन्नै नूं लागै सै दोस्तो, वो मेहर सिहं की परछाई सै
लख्मी रो पडा नाटक म्हं भी, रस रागनियां का चाख्या सै
कुरूक्षेत्र यूनिस्टी म्हं भी पोजीसनां का धूमा पाड राख्या सै

के यू के म्हं पाटोडा गलै तै उसनै सुर म्हं गाणा गाया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया

संस्कृति उपर लिखा करै वा सुथरे सुथरे गीत
कदे नहीं घबराया वो चहीं हार हो या जीत
उसकी कविता सुणके तो आदमी कै आंसु आज्यां
जिसनै दुख देख्या ना हो वो भी गसी खाज्या

कदे कदे स्टेज भरी म्हं मेरे यार नै ठूमका लाया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट ठाया

सिरसा तै केयूके जांदी हाणी ढाकल गाम आवै सै
ओड म्हारे यार कुंडु के घरा लासी की टंकी पावै सै
यो फकड राम ओडे भी सारी रोटी बाजरा की खाग्या
टिंडी का घी भाइयो चटणी गेल्या ब्होत ए घणा खाग्या
सारी लासी की टंकी रितागा, बोतल लेज्यांदा ठाया
अर ताम ए बतादो अक मन्नै फकड जाट नहीं पाया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया


पेपरा पाछै हाम दोनूं यूपी अर शिमला घूम के आये
उस फकड नै ओडे भी हाम हरियाणवी कुवाहे
गाजियाबाद म्हं डाकी नै रिक्सा आला पाछै बिठाया
आप बैठया गददी पै, अंगोछा गल म्हं बगाया
गोबर की मांद म्हं रिक्शा बाड दी, नाली म्हं पडा पाया
लाकै पाणी लिफाफा म्हं मन्नै, बडी मुश्कल तै धुवाया
वा रै अजय कवि तन्नै यो फकड जाट मिलाया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया

मेरे उपर कविता लिखकै राजी घणा होरया सै
मेरा यार मेरा गुरू सै यो सन्दीप तन्नै टोरया सै
कदे तो बता दिया कर फकड तू कित खोरया सै,
लाम्बा लाम्बा ठाडा ठाडा तू टाली का पोरा सै

तू फेसबुक पै कै लिखै से भुरटाणा टोहया भी ना पाया
ले भाईयों आपां नै नहला पै दहला मार बगाया
दसेक दिन ओर रूकज्या, मैं यूं आया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया
बाबु ओ बाबु यो सिरसा मन्नै खूब भाया
यूनिस्टी म्हं एक फकड जाट पाया

संदीप कंवल भुरटाना

Sunday, September 4, 2011

माँ री माँ मनै एक इसा mst यार बणाया

माँ री माँ मनै एक इसा mst यार बणाया
MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया

पहली साल की बात सै माँ
ठाडा उस का गात सै माँ
संदीप कँवल नाम सै माँ
... भुरटाना उसका गाम सै माँ
छोरीया तै घना शर्माए करदा
छोरया तै भी घाट बतलाये करदा
या झिझक तोड़ण खातेर उस पै सांग भी कराया
MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया

अजय वर्मा नै पहली बरी मेरे तै मिलवाया था
मनमोहन का छोटा भाई सै साथ मै बतलाया था
पहली बार ओ मन कोरियोग्राफी मै फसाया था
बाद मै स्कीट के माह पुलिसिया बनवाया था
प्ले मै तो फेर ओ चंट हो लिया लाम्बे गाने गा कै
सांग बनया कदे सांगी अर कदे नाच्या धोती ठाकै
कुरुक्षेत्र मै किसान बणाकै स्टेज पै भी रुवाया
MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया

यारा का ओ यार बण गया उसके कमरे पै धूमे ठाए
उस की गेल रह कै नै कई भुंडे सुथरे यार बनाये
कदे देखी फिल्म उस गेल कदे रामलीला
लेपटोप चोरी होगया हांडे ठाणे तसिला
कमरे पै यारो हमनै मिल कै खूब खीर बनाई
जांगडे तै ले कै बाह्मण तक सब तै खूब खुवाई
फ्री माइन्ड करण खातर मन ताश भी खेलना सीखाया
MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया

कुछ दिन पाछै री माँ उस नै एक बणिया यार बणाया
गेल्या राख्या गेल्या खुवाया अर गेल्या ही सुवाया
फेर उस बणिये नै उस छोरे की यारी का मोल नी पाया
दस हजार तली दे कै भाज गया कदे फोन भी नी ठाया
बणिये खातर छोरे नै एक गाणा भी बणाया था
मित्र मण्डली मै बैठ कै उसनै कै बार सुणाया था
भाजे पाछै संदीप नै गाणा बी पाड़ बगाया ..........
MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया


पेपरां पाछै दोनु एक बै शिमला घूम कै आये थे
चंडीगढ़ अर दिल्ली भी हामनै खूब जुते तुडाये थे
फेर होगया बियाह छोरे का ओह फुल्या नहीं समाया
चांग गाम मै जा कै छोरा चाँद सी बहु बयाह ल्याया
बियाह पाछै ओ छोरा ईद का चाँद बनदा जावै सै
कदे कादाये फेसबुक पै ऑनलाइन नजर आवै सै
जद भी दीखै सै गात मै होता नहीं समाया ...........
MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया

माँ री माँ मनै एक इसा mst यार बणाया

MA करे पाछै पत्ते तोड़ गया टोह्या बी नी पाया