Thursday, August 11, 2011

आच्छा, गाम म्हारा सै।।

सन्दीप कंवल भुरटाना

गेहूं आले किलां म्हं, सिरसम का पेड़ा न्यारा सै,,
सारे गामां तै आच्छा, गाम म्हारा सै।।
पड़ी बछन्टी खेता म्हं, अमरूद खडे़ सै मेढ़ पै,
ला राखै सै सुंडिये, हांडे जीपसी रेड पै,,
बलद चालै रहट पै, चालै पाणी का झलारा सै,,
सारे गामां तै आच्छा, गाम म्हारा सै।।
गेहूं की टराली भरी खड़ी, चालण लागरी डरामी,
आम का पेडडा लदा पड़ा, खालै रै छोरे आमी,
एक छोरी खडी सामी, गुठली आम की खारा सै,,
सारे गामां तै आच्छा, गाम म्हारा सै।।
ट्यूबवैल पै थ्री फेस कनेक्षन, होरे सैं ठाठ रै,
ना क्याकैं की आडै टेन्षन, कहरा यो जाट रै,
कुए आले कोठडे का, रंगील नजारा सै,,
सारे गामां तै आच्छा, गाम म्हारा सै।।
भैसा खातर बो राखी, बरसीम, जई बाजरी,,
ताई भी भैसां गैल्या, लेके डंडा भाजरी,,
पनघट उपर छोरिंया का, लागरा लारा सै,,
ढाणी म्हं ब्याह होण लागरा, डीजै पै छारी मस्ती,
हाथ की कढोडी चालै सै, देषी सबतै सस्ती,
कह भुरटाणे आला छोरा, कसूता मजा आरा सै।।
सारे गामां तै आच्छा, गाम म्हारा सै।।




No comments: