Tuesday, August 2, 2011

बदले हालात गामां कै

स्ंादीप कंवल भुरटाना
आज के गामां के हालात देख के ये चार कली लिखी सै भाईयों उम्मीद है तामनै पसंद आंवगी और जै हो सके तो गामां के हालात सुधारण की कोषिष जरूर करियो। ये चार लाइन तारै सामी सैं जिसा मन्नै लाग्या अर तामनै भी नुए लागै सै तो गाबरू गाबरू छोरा तै एक छोटी सी बात कहूं सूं, पंजाब कानी देखके , करदो काम

बदले हालात गामां कै

ना रहे गामां के वे हाल,
गाम हो लिए सैं कंगाल।।
किते भी तो ना दिखता यो भाईचारा रै,
जोहड़ सुखगा, सारै पाणी होग्या खारा रै,
धरती खोद कै नहर बणादी ना पाणी आरा रै,
फसलां का किते भी, ना सही भा थ्यारा रै,
फिरगा मोह माया का जाल,
गाम हो लिए सैं कंगाल।।

सारै रीति रिवाज मिटगे, कोए नोंदा नंुधार नहीं,
भाई-भाई न मारदे, किसे का भी प्यार नहीं,
गोड़ा नुवाण जाणा हो तो, कोए जाण नै तैयार नहीं,
सारै जणे पागल होरे, कोए रहा समझदार नहीं,
या भूंडी बणी कसूती ढाल,
गाम हो लिए सैं कंगाल।।

छोटी-छोटी बातां पै, होज्या बड़ा रौला रै,
थापड़-गुस्से की लड़ाई म्हं, उठ जा सै गोला रै,
खांच कै नै थापड़ लागज्या, होज्या छोरा धोला रै,
पुलिसिएं भी मजे लेरे, लुटै आदमी भोला रै,
सरपंचणी भी खागी माल,
गाम हो लिए सैं कंगाल।।


क्यातैं भूलगे रै लोगो ताम, थामनै कोए ख्याल नहीं,
के होगा थारे बालकां का, उनकी कोए रूखाल नहीं,
कहै भुरटाणे आला, अर्ै यो सतासी का काल नहीं,
कंवल की ना मानी तो, टूटै माया का जाल नहीं,
यो सन्दीप पूछै एक सवाल,
गाम हो लिए सैं कंगाल।।

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