Monday, July 11, 2011

बेटी नअ् मरवाओग तो बहु कडे तै लाओगे

संदीप कंवल भुरटाना

म्हारे हरियाणे के पंचायती अर् ठोलेदारां नै कहूं सूं अक् ताम बिना काम चौधर अर् मर्दानगी के पाले मांडे हांडण लाग रै सो, असलियत या सै तारी चौधर अर् मर्दानगी कुरडिया पै लहू लूहाण पडी सै---रै मेरे साथियो एक बार इस लक्ष्मी नै धरती पै आण दो--------बेटी नअ् मरवाओग तो बहु कडे तै लाओगे‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘

मां के गर्भ म्हं इस कन्या पै, मत ना छुरी चलाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।
छोरी का भी इस दुनिया म्हं, आवण का हक पूरा सै,
मात-पिता के संग म्हं खेल्या, खावण का हक पूरा सै,
करकै बी ़ए ़एम ़ए फैदा, ठावण का हक पूरा सै,
ब्याह करवाकै साजन के घर, जावण का हक पूरा सै,
छोरा-छोरी एक बराबर, यो सारा भेद मिटाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।
छोरी तै क्यूं नफरत सुणल्यो, कान खोलकै सारे,
काम नहीं यो इन्सानां का, क्यूं बणरै हत्यारे,
वो दिन दूर नहीं सै छोरे, हाडैं मारे मारे,
भोत घणी कम होग्यी छोरी, रहज्यां घणे कंवारे,
होज्यागी दुनिया म्हं हांसी, मत ना लोग हंसाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।


डी सी एस पी एम पी एम एल ए, छोरी चढ़ी शिखर म्हं,
बणरी सैं प्रधानमन्त्री, के फैदा घणे जिकर म्हं ,
अपणी किस्मत आप बणावैं, बैठे सोच फिकर म्हं,
न्यूं चमकै सैं छोरी सारै, जणु तारे अम्बर म्हं,
किसे चीज म्हं घाट नहीं सें, बेशक नजर घुमाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।
बिना खोट में कितणी कन्या, नींद सदा की सोल्यी,
बन्द करो या बड़ी बीमारी, भोत घणी हद होली,
मेरे जन्म की खुशी मनाइयो, मां के पेट तैं बोल्यी,
इस दुनिया म्हं छोरी सै एक, चीज बड़ी अणमोली,
कह संदीप भुरटाणे आला, न्यूं सबनै समझाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।

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