Wednesday, July 13, 2011

संदीप कंवल भुरटाना

म्हारे गामां का रंग भी न्यारा हो गया
हर जगां टूटा भाईचारा हो गया

पहलां नई बहु कुए पै जाया करदी
...छम छम छलकाकै पाणी लाया करदी
म्हारां कुए का पाणी भी खारा हो गया

पहला मिलजुल के लोग रहया करदे
सुख दुख अपणे वे सहया रै करदे
जमीदार का बेटा भी आवारा हो गया

पहला गामा म्हं सांग म्हं बुलाया करदे
ब्याह के वाणा म्हं ढोल बजाया करदे
इब तो डीजे भी सबनै प्यारा हो ग्या

तीज पींग पै बिठाकै झुलाया करदी
गीत सामण के वो गाया करदी
ब्याह म्ह सिटणे देके हंसाया करदी
कोर्ट आला ब्याह भी बटाधारी हो गया

सबे कित इब तो घलु घारा हो गया
छोरा गाम का भी गात तै भारा हो गया
रोज खादां गोलगप्पे टिक्की बरगर समोसे
संदीप कअ् पेट म्हं भी आफारा हो गया
म्हारे गामां का रंग भी न्यारा हो गया
हर जगां टूटा भाईचारा हो गया

संदीप भुरटाना

डाट लो उन झालां नै जो इबे गुजरी नहीं सै
आंत दुखै ब्होत सै, इबे कती बिखरी नहीं सै,
अर् एक बै प्यार तै बुला के तो देख तु,
घाव भर जांगे सारे, जो इबे दिखरी नहीं सै।।

SanSkrita Badalgi........mere Bhaiyo

सन्दीप कंवल भुरटाना
किमे भी तो ना मिलता, इस पीणे खाणें म्हं,
कुछै भी तो बचा नहीं, इस म्हारे हरियाणे म्हं।।

आज काल की छोरियां नै सूट पहरणै छोड़ दिए
...पहलां आलै रीति-रिवाज, एक झटकै म्हं तोड़ दिए,
जो देखे थे सपने लख्मी नैं, वे नुए सारे रोड़ दिए,
बदल गरी तेरी रागनी दादा, गीत तेरे सब मोड़दिए,
कोए भी तो डरता कोन्या, रोज जायावैं थाणे म्हं।

खेती करणिया किसान की, कमर तो्रडी सरकारां नैं,
क्दे लाठी,कदे गोली मारी, कै बिगाड़ा था बिचारां नै,
निर्दोस आदमी नै जिदे मारदे, ना पकडै हत्यारां नै,
उल्टे काम मिनट म्हं करदे, के गाड़ा इन सारा नैं
जोड़-तोड के गाणा गावैं, ना गाणा आवैं गाणे म्हं।

मां-बात नैं घर नै काढ़दे, इसी-इसी औलाद होरी दादा,
ताई भी दुख देख-देख के, इसे सोच म्हं खोरी दादा,
दिन पुराने उल्टे आजा, गावैं गीत फेर छोरी दादा,
काम सारे तू ठीक बणादै, ना मरेै कोए गौरी दादा,

पूरा माणस होग्या आधा, रोज कोर्ट कचहरी जाणे म्हं।

जिद तैं हरियाणे म्हं फैसन की आंधी आई सै,
इस बीमारी नै तो म्हारी इज्जत तार बगाई सै,
छोटे-छोटे लतडे़ सिमंे, टेलर भी होरे हाई सैं,
बेरा तै भी पाटै कोना,ये माणस सै के लुगाई सै,
क्ह सन्दीप भुरटाणे आला, इब मरै आदमी उल्हाणे म्हं,
कुछै भी तो बचा नहीं, इस म्हारे हरियाणे म्हं।।


Sandeep Bhurtania

Monday, July 11, 2011

बेटी नअ् मरवाओग तो बहु कडे तै लाओगे

संदीप कंवल भुरटाना

म्हारे हरियाणे के पंचायती अर् ठोलेदारां नै कहूं सूं अक् ताम बिना काम चौधर अर् मर्दानगी के पाले मांडे हांडण लाग रै सो, असलियत या सै तारी चौधर अर् मर्दानगी कुरडिया पै लहू लूहाण पडी सै---रै मेरे साथियो एक बार इस लक्ष्मी नै धरती पै आण दो--------बेटी नअ् मरवाओग तो बहु कडे तै लाओगे‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘

मां के गर्भ म्हं इस कन्या पै, मत ना छुरी चलाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।
छोरी का भी इस दुनिया म्हं, आवण का हक पूरा सै,
मात-पिता के संग म्हं खेल्या, खावण का हक पूरा सै,
करकै बी ़ए ़एम ़ए फैदा, ठावण का हक पूरा सै,
ब्याह करवाकै साजन के घर, जावण का हक पूरा सै,
छोरा-छोरी एक बराबर, यो सारा भेद मिटाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।
छोरी तै क्यूं नफरत सुणल्यो, कान खोलकै सारे,
काम नहीं यो इन्सानां का, क्यूं बणरै हत्यारे,
वो दिन दूर नहीं सै छोरे, हाडैं मारे मारे,
भोत घणी कम होग्यी छोरी, रहज्यां घणे कंवारे,
होज्यागी दुनिया म्हं हांसी, मत ना लोग हंसाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।


डी सी एस पी एम पी एम एल ए, छोरी चढ़ी शिखर म्हं,
बणरी सैं प्रधानमन्त्री, के फैदा घणे जिकर म्हं ,
अपणी किस्मत आप बणावैं, बैठे सोच फिकर म्हं,
न्यूं चमकै सैं छोरी सारै, जणु तारे अम्बर म्हं,
किसे चीज म्हं घाट नहीं सें, बेशक नजर घुमाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।
बिना खोट में कितणी कन्या, नींद सदा की सोल्यी,
बन्द करो या बड़ी बीमारी, भोत घणी हद होली,
मेरे जन्म की खुशी मनाइयो, मां के पेट तैं बोल्यी,
इस दुनिया म्हं छोरी सै एक, चीज बड़ी अणमोली,
कह संदीप भुरटाणे आला, न्यूं सबनै समझाओ।
दया धर्म का खोज रह्या ना, मत ना जुल्म कमाओ।।

Sunday, July 10, 2011

सन्दीप कंवल भुरटाना

जिद म्हं मास्टर बण जाउंगा,
जिद म्हं मास्टर बण जाउंगा,
सारी धरती आसमान सर पअ् ठाउंगा,
क्यातैं राजी होरी सो मैडमांे,
मैं भी किसे मास्टरणी तै ब्याह करवाउंगा,
आच्छा सरकारी नाज खांवागें,
क्यातै बालकां नै पढ़ावांगे,
वा भी नींद म्हं बैठी उंघगी,
मेरअ् खातर स्वेटर गुनेगी,
अर् मैं भी आपणे गोधू का टोपा बणवाउंगा,
जिद मै मास्टर बण जाउंगा,
बिना नहाए फेर आवगी बासी,
बालका पै मंगवाके पिउंगा लासी,
मिड-डे-मील का राषन खाउंगा,
धर के पां मेज पै सो जाउंगा,
बालक भी खूब ए मौज उडावगें,
खेलदे-खेलदे मेरी टांगा तलै कै लिकड़ जावंगे,
जै कोणसा फसगा! उसपै एक बीड़ी का बंडल मंगवाउंगा
जद मैं मास्टर बण जाउंगा,,
खूब मारूंगा फरलो,
चाहे कोए किमे करलो,
सरपंच तै घणा प्यार सै,
बीओ आपणा रिष्तेदार सै,
बालक भी तो चार सैं,
मैं तो नुए मजे उडाउंगा,
जद मैं मास्टर बण जाउंगा,,,
राजनीति का ख्ूाब जमकै खेलूंगा खेल,
सारा नै पास करूंगा किसे न नहीं करूं फेल,
कोए अपरोच आला कोए पास हो अक्ल तै,
रह्या-सह्या का काम काढूंगा नक्ल तै,
नू कर कार कै नै बालकां नै आपणी बराबरी पै लाउंगा,
जद मैं मास्टर बण जाउंगा,,,
पार्टी कै टेम पै मन्नै मारली थी घूंट,
जितनी बात पहलंा कही वो थी झूठ,
सरकारी अर् प्राइवेट म्हं फर्क जाणूं रै,
सरकारी स्कूलां के मास्टर क्यूं बणगे परमाणु रै,
बालका पै इसा बम फोड़ देवं सैं,
हालात नै देखके बालक स्कूल छोड़ देवं सैं,
इननै सुधारण खातर कोए जत्न बणाणा होगा,
जवान-जवान छोरा नै, डंका फेर बजाणा होगा,
गुरु जीयां का दर्जा इन्नै फेर दुवाणा होगा,
सारे बालक पढ़ा पाछै, खुषहाल हरियाणा होगा,
फेर कोए मास्टर कोनी कहवै,
मैं धरती सर पै ठाउंगा,
जद मैं मास्टर बण जाउंगा,,,
सारे बालकां नै रज कै पढ़ाउंगा,
मिड-डे-मील का राषन नहीं खाउंगा,
अर् मेरे बालकां नै भी,
सरकारी स्कूल म्हं पढ़ाउंगा
षिक्षा, स्कूल और देष बचाके थाम यो एक एंडी काम करो,
आगली पीढ़ी याद करै, इसा के कोए काम करो,
एंडी मास्टर बणके नै, का उंचा नाम करो,
दिन-रात एक बणाकै, मेहनत सबेरे-षाम करो,
मैं संदीप कंवल भुरटाणे आला,
मास्टर बणा पाछै भी नुए कविता सुणाउंगा,,,,
जद मैं मास्टर बण जाउंगा ;;;;9

संदीप कंवल भुरटाना

किसे जानवर नै ना सताईयो
काल की बात थी,
काली-काली रात थी,
रात नै चाला होग्या,
गात का गाला होग्या,
काल सोमवार था,
म्हारा पाणी का वार था,
मन्नै जोडा टूटलिया गाड्डा,
अर मन्नै लाग्या ब्होत ए जाड्डा,
हिम्मत करके खेत म्हं आग्या,
एकलै नै ब्होत ए डर लाग्या,
इतणै म्हं आग्या मेरा काका,
दोनूंआ नै मिलके खोल्या नाका,
काका चल्या गया,
खतरा फेर ढल्या गया,
एक बिल म्हं पाणी बड़ग्या,
युद्व सा छिड़ग्या,
एक मूसा बिल म्हं तै लिकड के भाजगा,
अर मेरी जान सी काडगा,
लागै घणा स्याणा था,
एक आंख तै काणा था,
लाम्बी उसकी पूंछ थी,
किसारी बरगी मूंछ थी,
खामखां मेर गेल्यां फहगा,
जंादा-जांदा न्यू कहगा,
अर बोल्या भाई,
कितणी ए मेहनत करले,
कुछ नहीं होवगा,
तु तो सारी उम्र नुए,
खेतां म्हं सोवगा,
ब्ेाशक खेत कअ बाहर कै,
तार गाड़ दिए,
जै इसमे किम होज्या,
मेरी मूछ पाड़ दिए,
या कहकै बिल म्हं बड़गा,
अर मै चिन्ता म्हं पड़गा,
मैं सोच करण लाग्या,
एक विचार मन म्हं आग्या,
इबकै खेत नै खाली छोडद्या,
अर् हाल फाली सब तोड़द्या,
फेर मेरा भीतरला घबराया,
दिमाक फेर चकराया,
जै इबकै नहीं बोवगा,
नाज कितै होवगा,
सारै बाजै बजा कै,
बाजरा बो दिया,
टाल के मुसा की बात,
सबे किमे खो दिया,
क्ुण म्हं तै हाल पड़ग्या,
भई उसे साल काल पड़ग्या,
फेर म्हं उसे बिल कै धौर्अ आया,
उसे मुसे तै दोबारा बतलाके आया,
रै वो मूसा नहीं रै मूसा का भेश था,
वो तो भगवान गणेष था,,
मूसां भेश म्हं आया था,
मैं उसनै ब्होत समझाया था,
गड्डे मुर्दे ना उखाड़ियो,
रै लोगो किसे का घर ना उजाड़ियो,
अर् मेरअ् तो समझ म्हं आगी,
आपणै तो अक्ल लागी,
अर् खूब कमाइयो, खूब खाइयो,
पर किसे जानवर नै ना सताइयो
संदीप कंवल भुरटाना

Friday, July 8, 2011

Haryana ke Jan Nayak Tau Devilal

Haryana ke Jan Nayak Tau Devilal ko Samrpit..........ye Chand Line......

संदीप कँवल भुरटाना

ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
भोली भाली जनता नै यो लुट्टे बणके स्याणा ......
जिद भी हरियाणे मै ताऊ congress की सरकार आई सै
आंदे आंदे इसने ताऊ लूटपाट मचाई सै
गोते मार के दाल ना पांदी रोवे मेरी ताई सै
चीनी चावल सबे कीमे महंगा लाठी तोड महंगाई सै
गरीब आदमी न ताऊ पडा बासी टिकड़ खाणा
ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
गरीब आदमी का ताऊ इब होन्दा नहीं गुजारा
१५० रुपये कमा के लाव २०० का खर्चा आरा
छोरी कै जाण खातर ताऊ भाड़ा नहीं पारा
अमीर आदमी और भी अमीर होन्दा जारा
इस महंगाई का ताऊ कोए पडगा जत्न मनाणा
ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
टिम टिम करके लाइट भाजगी एक बार फेर आ ताऊ
नहर सूखगी पानी कोन्या वो ए काम दिखा ताऊ
बुड्डा की तन्ने पेंशन बनाई दूसरा का ठप्पा मिटा ताऊ
होरी किसान की रे रे माट्टी फेर खुशहाल बणा ताऊ
इस जनता के हाली नै पड़ा फंदा गल मह लटकाणा
ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
इस रूस्म पाटत नै छोडके सारे भेद मिटा लो
घणे प्यार तै कहूं लोगों एक बार चश्मे का बटन दबा लो
सारे दुःख दूर होज्यांगे चाहे इतिहास ठालो
कांग्रेस गेल्यां लाग के बेशक गोडे तुड़वा लो
हर एक जणा का काम होवेगा या कहवे संदीप भुरटाना
ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
ओ ताऊ .........आज्या नै तन्ने पुकारे हरियाणा
संदीप भुरटाना

संदीप कंवल भुरटाना ब्याह

बाबा पीर की जय
म्हारे गामां के ब्याह के बारे में पूरा लेखा-जोखा, हिसाब-किताब अर् ब्याह जडअ् तै ष्षुरू होवे ओडे तै लैके आखर तक पहंुचाण की कोषिष करी सै, उम्मीद सै तामनै जरूर पंसद आवगी

संदीप कंवल भुरटाना

हर किसे कअ् चड्ढे चा,
जद होंदा होवै ब्याह,
गांमा की पुराणी रीत,
घरां गाए जावैं गीत,
सात-ग्यारह दिन का लग्न आवै,
छींक -छीक के नै मिठाई खावैं,
फेर दैंव घर आले बाना,
मीठा भैके रोटी खाणा,
चिन्ता भी फेर रोज हौवे,
उन दिनां म्हं मौज हौवे,
ब्याह तै पहलड़ा दिन भातियां का आणा,
गाम आलां का खाणा चालू करवाणा,
फेर मामे भरैं भात,
ब्होत करणी पडै़ खुबात,
भाई-बाहण कै सहारा लावै,
बूढ़ला की रीत निभावै,
लिखें भात खुलैं बही,
उसे रात फेर चढे तई,
गुड़ चीनी की चाष्णी छणे,
लाडू, जलेबी मिठाई बणे,
कोए बोचण म्हं फैदा ठाज्या,
अंधेरा म्हं लाडू खाज्या,
ब्याह का बड़ा मीठा खेल,
पहलड़ा दिन नै कहवां मेल,
बाने काढे गिण-गिण,
फेर आवै ब्याह आला दिन,
पहलां बनड़ा का तैल तारैं,
फोटू आलै भी झिमका मारैं,
सारे सिंगर डोल कै होज्या तैयार,
काडदे बनड़ा का त्यौहार,
बनड़ा नै नाई नुवांवै,
आच्छा साबण पाणी लावैं,
लाल लत्ता सिर उड़ा रै,
फेर मामा पाटड़ा पै तै तारै,
फेर बनडा कै जींजा की आवै बारी,
पहला टोपी मंदिर जाण की तैयारी,
चढ़ घोड़ी मंदिर म्हं जाणा,
फेर भगवान नै षीष नवाणा,
डीजै पै बाजै गाणे हिट,
यार दैवं सारे गिफट,
भाभी आंख्या म्हं कालस घालै,
मांगै नेक फेर नाड़ हालै,
फेर बाराती चालै होके लैट,
आगलै गामै फेर हौवे फेट,
करकै नै पूरी खुबात,
आगलै गांम फेर पहुचै बारात,
औडे मिलणी पै बुढे आवैं,
माला घाल गलै मिल जावैं
खातिरदारी की पहली निषानी,
कंपा कोला और षरबत का पानी,
दैव सालै जतावैं प्यार,
मिनट म्हं कहवै रिष्तेदार,
फेर पंडत जी आवैं,
रस्मुना सा करकै जावैं,
थोड़ी पुराणी रीत निभावैं,
बरी का सामान भी ले ज्यावैं,
फैर हौवे फेरां की तैयारी,
ब्हुंआ कें सिंगार म्हं टेम लागै भारी,
छोरे भी डीजै पै गाणै लगवांवै,
नाच-नाच के धूमैं ठावैं,
घणखरे ब्होत ए माच्चैं,
बेतल मुंह कअ् लाकै नाच्चै,
आज्या छोरीआलां का घर,
ढोलकियां की आरी मर,
फेर साली निम झारैं,
जोर का फटकारा मारैं,
एक रिबन भी कटवांवै,
राम दणी सी नैक लेज्यावैं,


कई छोरे अल्बाध कर ज्यावैं,
सपरे मार धोली कर ज्यावैं,
मजै आवैं जिब भतेरे,
फेर षुरू हो ज्यावैं फेरे,
छोरी नै लेके मामा आवै,
राम दणी सी पाटड़ा पै बिठावै,
पंडत जी ब्होत बार लगावै,
पिसे देदीं ए फेरे तावले करावै,
छोरी आलै दैंव ब्होत सामान,
फेर वो घालै कन्यादान,
घणी गर्मी म्हं चालै बीजणे,
सरी लुगाई दैंव सिटणे,
बनडे की बेबे ए,,,,,,,,,
भीड़ म्हं नहीं मिलै सीट,
फेर छोरी दैंव गिफट,
कैमरा आला गैंल्या करैं कैंस,
बोली खाली ना मारिए फलैस,
घूम-घूम सात फेरें हो ज्यावैं,
फेर सारे बाराती खाणा खावैं,
मेल-जोल म्हं होवैं सब फिदा,
आखर म्हं फेर हौवे विदा,
बूढे़-बडेरे की हौव मान तान,
कांबल, गुट्ठी का हौव दान,
लाल-लाल सी ठावै किताब,
सारै ब्याह का हौव हिसाब,
फेर आखरी घड़ी सै आई,
बारात की फेर हौव विदाई,
सबकी आंख्या म्हं आंसू आवैं,
जिद घर तै एक आदमी जावैं,
कुछैक घंटा म्हं मिटै चा,
न्यू हो ज्यावै सै भाईयों ब्याह,
हर किसे कअ चडढे चा,
जद होंदा हौवे ब्याह।।।।।।

संदीप कंवल भुरटाना