Thursday, November 20, 2008

















दूर जाते हो करीब आकर, तो बुलाया क्यों था।
तोड़ना दिल ही था तुमने, तो दिल लेगाया क्यों था॥
इतना खुश रहते हो तुम, कहते थे लोग मुझे,
आंसू ही पसन्द थे आपको तो हंसाया क्यों था,
गमों से दूर, हंसी ख्वाबों में, मैं सोचा करता था,
उ+ड़ानी नींद ही मेरी, तो जगाया क्यों था,
मुझे अहसास न था कि वक्त ऐसा भी आएगा,
निभाना ही न था साथ, तो हाथ मिलाया क्यों था,
चमन जो मेरा कहता था वो अक्सर याद आता है,
भगाना थी ही मुझको, तो पास बैठाया क्यों था,
'कंवल' किस्मत में तो ना कुछ उम्मीद बाकी है,
रूलाना उर्मभर ही था तुमने तो मुस्कराया क्यों था॥

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