Monday, November 10, 2008

संदीप कँवल

संदीप कंवल
निर्दोष गरीब लाचार नै, ये बेकाम कूटण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
बड़ी-बड़ी सिफारिश लेरे, खूब पिसा कमाया रै,
आदमी मारा इन्नै, वो गुण्डा भी ना थाया रै,
आम आदमी कै उपर, यो खडा मौत का साया रै,
रिश्वत लेण म्हं हरियाणा म्ह, यो गंदा महकमा बताया रै,
इन्नै बालक भी डराया रै, जैल म्हं तै गुण्डे भी छूटण लागै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
छोरा-छोरी फंसजा तो ये, इसा हथकंडा अपनावैं रै,
जनता जाव भाड़ म्हं, ये अपना काम कर जावैं रै,
छोरी आलां पै लेव रूपया, खूब धन कमावैं रै,

ये हरदम दुआ करै, रोज इसे कैस आवैं रै,
ये खुद भी आंख लड़ावै रै, सारे रिश्ते टुटण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
इनकी तो शर्म भाजगी, मोह माया की होरी खाज,
न्याय मांगण छोरी आई, थाणे कै म्हं तारी लाज,
गाल बक-बक बोलअ्‌ सै, कहवै इब चालअ्‌ माह्‌रा राज,
पूरा पुलिस महकमा कै, ला राख्या सै रै काला दाग,
रै भोला इन्सान जाग, क्यू घूंट सब्र का घूटण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
इन सारी बातां का, इब ध्यान धरणा होगा,
ना मरैगी कोए बाहण,बेटी, इसा काम करणा होगा,
इन पुलिसियां का भी, कूकर भोभा भरणा होगा,
रक्षक होगे भक्षक इब, इनतै कै डरणा होगा,
कहं सन्दीप भुरटाणे आला, इब सारे उठण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥

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